- चाणक्य

“धर्म में निरंतर लगे रहना”

- चाणक्य

“मुख से मीठे वचन बोलना”

- चाणक्य

“दान देने में सदैव उत्सुक रहना”

- चाणक्य

“मित्र के प्रति कोई भेद-भाव न रखना”

- चाणक्य

“गुरु के प्रति नम्रता और अपने हृदय में गंभीरता”

- चाणक्य

“अपने आचरण में पवित्रता”

- चाणक्य

“गुणों के ग्रहण करने में रुचि”

- चाणक्य

“शास्त्रों का विशेष ज्ञान”

- चाणक्य

“रूप में सौंदर्य और प्रभु में भक्ति आदि का होना”

- चाणक्य

“अगर आप में ये गुण हैं तो आप एक सज्जन पुरुष हैं”

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