- चाणक्य

“ ये बाते हर समय व्यक्ति को कष्ट पहुँचती हैं।”

- चाणक्य

“सज्जन लोग अपनी पत्नी के वियोग को सहन नहीं कर सकते।”

- चाणक्य

“यदि उनके अपने भाई-बन्धु उनका अपमान अथवा निरादर करते हैं तो वह उसे भी नहीं भुला सकते। ”

- चाणक्य

“जो व्यक्ति कर्जे से दबा है. उसे हर समय कर्ज न उतार पाने का दुख रहता है।”

- चाणक्य

“दुष्ट राजा अथवा मालिक की सेवा में रहने वाला नौकर भी हर समय दुखी रहता है”

- चाणक्य

“निर्धनता तो ऐसा अभिशाप है. जिसे मनुष्य सोते और उठते-बैठते कभी नहीं भुला पाता।”

- चाणक्य

“दुष्ट लोगों और स्वार्थियों की सभा अथवा समाज में रहना”

- चाणक्य

“ये बाते हर समय व्यक्ति को कष्ट पहुँचती हैं।”

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