- चाणक्य

“चाणक्य ने मित्र के संदर्भ में कही ये विशेष बात”

- चाणक्य

“जो मित्र खोटा है, उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए”

- चाणक्य

“और जो मित्र है”

- चाणक्य

“उस पर भी अति विश्वास नहीं करना चाहिए”

- चाणक्य

“क्योंकि ऐसा हो सकता है”

- चाणक्य

“कि वह मित्र कभी नाराज होकर सारी गुप्त बातें प्रकट कर दे।”

- चाणक्य

“आज बड़े-बड़े नगरों में जो अपराध बढ़ रहे हैं”

- चाणक्य

“उनके पीछे परिचित व्यक्ति ही अधिक पाए जाते हैं”

सम्पूर्ण चाणक्य निति पढ़ने के लिए क्लिक करें