- चाणक्य

“चाणक्य ने बताया किस प्रकार संतान की परवरिश की जानी चाहिए”

- चाणक्य

“पांच वर्ष की आयु तक पुत्र से प्यार करना चाहिए”

- चाणक्य

“क्योंकि इस समय वह सहज विकास से गुजर रहा होता है।”

- चाणक्य

“इसके बाद दस वर्ष तक उसकी ताड़ना की जा सकती है”

- चाणक्य

“अधिक लाड़-प्यार करने से बच्चा बिगड़ न जाए”

- चाणक्य

“इसलिए दस वर्ष की आय तक उसे दंड देने की बात कही गई है”

- चाणक्य

“परंतु सोलह वर्ष की आयु में पहंचने पर उससे मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए”

- चाणक्य

“मित्रता का अर्थ है, उसे यह महसूस कराना कि उसकी परिवार में महत्वपूर्ण भूमिका है।”

- चाणक्य

“मित्र पर जैसे आप अपने विचारों को लादते नहीं हैं, वैसा ही आप यहां अपनी संतान के साथ भी करें”

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