- चाणक्य

“चाणक्य के अनुसार इस प्रकार निपटे आने वाले कष्ट से।”

- चाणक्य

“चाणक्य के अनुसार आने वाले कष्ट के लिए सदैव तैयार रहे”

- चाणक्य

“और किसी कष्ट अथवा आपत्ति काल के धन की रक्षा करें।”

- चाणक्य

“जब आपत्ति काल हो तो धन को सही जगह खर्च करें”

- चाणक्य

“आपत्ति काल से बचाव के लिए धन का संग्रह अति आवश्यक है”

- चाणक्य

“लेकिन अगर आपत्ति खुद पर हो तो धन से भी आवश्यक है कि व्यक्ति खुद की रक्षा करे ”

- चाणक्य

“अगर आप ही नष्ट हो जायेंगे तो धन का क्या प्रयोजन रह जायेगा।”

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