- चाणक्य

“चाणक्य के अनुसार अति क्यों नहीं करनी चाहिए।”

- चाणक्य

“अत्यंत रूपवती होने के कारण ही सीता का अपहरण हआ”

- चाणक्य

“अधिक अभिमान होने के कारण रावण मारा गया”

- चाणक्य

“अत्यधिक दान देने के कारण राजा बलि को कष्ट उठाना पडा”

- चाणक्य

“प्रत्येक कार्य की एक सीमा होती है।”

- चाणक्य

“जब उसका अतिक्रमण हो जाता है तो व्यक्ति को कष्ट उठाना पड़ता है।”

- चाणक्य

“इसलिए किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए।”

- चाणक्य

“अति का सर्वत्र त्याग कर देना चाहिए।”

सम्पूर्ण चाणक्य निति पढ़ने के लिए क्लिक करें