- चाणक्य

“जीवन में विद्या क्यों जरूरी है”

- चाणक्य

“विद्या में कामधेनु के गुण होते हैं।”

- चाणक्य

“उससे असमय में ही फलों की प्राप्ति होती है।”

- चाणक्य

“विदेश में विद्या ही माता के समान रक्षा और कल्याण करती है”

- चाणक्य

“इसलिए विद्या को गुप्तधन कहा गया है।”

- चाणक्य

“गुप्तधन वह होता है जिससे मनुष्य संकट के समय लाभ उठा सके”

- चाणक्य

“इसलिए चाणक्य ने विद्या को गुप्तधन बताया है और उसकी उपमा कामधेनु से की है।”

- चाणक्य

“कामधेनु उसे कहा जाता है, जिससे मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।”

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