- चाणक्य
“चाणक्य के अनुसार ये बातें गुप्त रखें।”
- चाणक्य
“सिद्ध की हुई औषधि अर्थात अगर व्यक्ति को किसी गुप्त ओषधि का ज्ञान है तो वह गुप्त रखे।”
- चाणक्य
“अपने द्वारा किये जाने वाले धर्माचरण अर्थात धर्म के कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें गुप्त रखें।”
- चाणक्य
“अगर घर में दोष हो अर्थात कलह, लड़ाई-झगड़ा आदि हो तो उसे भी गुप्त रखें।”
- चाणक्य
“स्त्री के संग को कभी भी किसी के सामने प्रकट न करें।”
- चाणक्य
“कुभोजन अर्थात बेस्वाद भोजन अगर किसी मज़बूरी में ग्रहण किया हो तो उसे भी गुप्त रखें।”
- चाणक्य
“किसी से सुने हुए निन्दित वचन अर्थात अपमान होने की बात को किसी के सामने प्रकट न करें गुप्त रखें।”
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