“जिसके पुत्र और पुत्रियां अच्छी बुद्धि से युक्त हों”
- चाणक्य
“जिसकी पत्नी मृदुभाषिणी हो”
- चाणक्य
“जिसके पास परिश्रम हो”
- चाणक्य
“ईमानदारी से पैदा किया हुआ धन हो”
- चाणक्य
“अच्छे मित्र हों”
- चाणक्य
“अपनी पत्नी के प्रति प्रेम और अनुराग हो”
- चाणक्य
“नौकर-चाकर आज्ञा का पालन करने वाले हों”
- चाणक्य
“जिस घर में अतिथियों का आदर-सम्मान होता है”
- चाणक्य
“कल्याणकारी परमेश्वर की उपासना होती है”
- चाणक्य
“घर में प्रतिदिन अच्छे मीठे भोजन और मधुर पेयों की व्यवस्था होती है”
- चाणक्य
“सदा सज्जन पुरुषों का संग अथवा संगति करने का अवसर मिलता है”
- चाणक्य
“ऐसा गृहस्थ आश्रम धन्य है, प्रशंसा के योग्य है।”
- चाणक्य
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चाणक्य ने बताए रोगों से बचने के उपाय
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