- चाणक्य
“इन व्यक्तियों को पिता की तरह सम्मान देना चाहिए”
- चाणक्य
“यज्ञोपतीव करने वाले गुरु को हमेशा पिता की तरह सम्मान देने चाहिए।”
- चाणक्य
“यज्ञोपतीव का अर्थ है जब जनेऊ धारण कराया जाता है और विद्या प्रांरभ होती है।”
- चाणक्य
“विद्या दान देने वाले अध्यापक का भी पिता की तरह सम्मान करना चाहिए।”
- चाणक्य
“विद्या दान देने वाले अध्यापक का कभी अपमान नहीं करना चाहिए।”
- चाणक्य
“जो व्यक्ति आपको अन्न दे उसका भी पिता की तरह ही सम्मान करें”
- चाणक्य
“और जो आपको भय यानि डर से मुक्त रखे उसका भी पिता के समान सम्मान करना चाहिए”
- चाणक्य
“चाणक्य का मत है कि इनको सदैव संतुष्ट रखना चाहिए।”
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