“चाणक्य के अनुसार व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु कौन है।”
- चाणक्य
“अहंकार अर्थात् मिथ्याभिमान से बड़ा मनुष्य का कोई शत्रु नहीं है।”
- चाणक्य
“स्वाभिमान और अहंकार में भारी अंतर है।”
- चाणक्य
“मनुष्य में स्वाभिमान तब आता है जब उसमें योग्यता होती है”
- चाणक्य
“और अहंकार अयोग्य व्यक्तियों में होता है।”
- चाणक्य
“स्वाभिमान जहां व्यक्ति को अपने आत्मगौरव को ठेस नहीं पहुंचने देता”
- चाणक्य
“वहां अहंकार के कारण व्यक्ति को भारी हानि उठानी पड़ती है।”
- चाणक्य
“इसीलिए अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है।”
- चाणक्य
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ये काम करने से बुद्धिमान को कष्ट उठाना पड़ सकता है।
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