“देवता, सज्जन व्यक्ति और पिता केवल व्यक्ति के स्वभाव को देखते हैं।”
- चाणक्य
“पिता अपने पुत्र के स्वभाव से ही प्रसन्न होता है।”
- चाणक्य
“रिश्तेदार, बन्धु-बान्धव अच्छे खानपान से खुश रहते हैं”
- चाणक्य
“अर्थात यदि उनकी खानपान से अच्छी आवभगत की जाए तो वह प्रसन्न रहते हैं”
- चाणक्य
“और विद्वान मीठी बातों से ही प्रसन्न हो जाते हैं।”
- चाणक्य
“इसी बात को कुछ इस तरह भी कहा जा सकता है।”
- चाणक्य
“देवता, सज्जन और पिता अपने पूजक और संतति से सदा ही संतुष्ट रहते हैं।”
- चाणक्य
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चाणक्य ने अतीत और भविष्य के बारे में कही ये बातें।
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